पहाड़ों से उतरती धूप : भूमिका

स्मृति से आज़ाद नहीं हुआ जा सकता बस उन्हें विस्मृति के बक्सों  में रख कर भुलाने  का भ्रम किया  जा सकता है...ये भ्रम नयी स्मृतियों के लिए जगह बनाता है...

मैं खाली होने के लिए नज़्में, यहाँ सौंप रहा हूँ...

-मस्तो

 



   

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