ग़ज़ल 10 in पहाड़ों से उतरती धूप, मस्तो, poetry with कोई टिप्पणी नहीं अपना यार जहाँ रहता हैसारा होश वहाँ रहता हैजमुना तीर पे बूढ़ा बरगद नद्दी देख जवाँ रहता हैइतनी देर पुकारा उसकोदिल में है या कहाँ रहता है पढऩे लिखने वालों केचारो ओर धुआँ रहता हैमस्तो उस दिन वाले शेरइतना होश कहाँ रहता है Share: Related Posts:कालदिमागपुराने कोट से सवाललम्हा ए फजूलआदतें भी अजीब होती हैं
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