वक़्त दोस्त है मेरा in पहाड़ों से उतरती धूप, मस्तो, poetry with कोई टिप्पणी नहीं करो बर्बाद खुद को तुमवक़्त बेहिस है देखता है ये ..वो जनता हैकलकारण बनेगाऔरबातें सुनेगा..कोई जबमत्थे मढ़ेगा उसके सरसब कुछसुनेगा वो...:जिसे दुश्मन समझता था वही एक दोस्त था मेरा... Share:
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