महा रात्रि in पहाड़ों से उतरती धूप, मस्तो, poetry with कोई टिप्पणी नहीं दो बच्चों ने एक दूसरे को खिलौना समझ कर हैरत से छू छू के देखा मगर बच्चे थकते कहाँ हैं खेल से बरसों बाद चादर गिरी बिस्तर से कबूतर समय बन फुर्र से खिड़की से निकला Share:
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