कॉफी in पहाड़ों से उतरती धूप, मस्तो, poetry with कोई टिप्पणी नहीं १कॉफी खत्म हुई जाती हैजिन्दगी की तरह...सोचता हूं थोड़ी सीबचा लूं ।२प्यालों मेंदो घूंटछूट ही जाती हैजिंदगी। Share:
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें