लम्हा ए फजूल in पहाड़ों से उतरती धूप, मस्तो, poetry with कोई टिप्पणी नहीं फूल खिले तोतोड़ के उनकोगूंथा उसनेतागे मेंजब सूख गए,तो उसने तागा फेंक दिया।तुम ही बोलो वो करता क्या गाँठ लगे इस तागे का Share:
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