सच


अल्लम गल्लम सी
बातें करता है दिल मुझसे
उसको लगता
फिर से मैं
उसकी बातों में
आ जाउंगा
वो क्या जाने
               दूर चला आया हूँ
खुद से
.

कितनी दूर

शब्द 
कहाँ सुनने में आते..
 ...
गूँज मगर
अब भी आती है...
जैसे
   तनहा
       बैठा वादी में...
सिहरन हल्की सी हो जाती है


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