फ्लो चार्ट


जो दिल में था
बयां करके
वो हर इक बात
‘मैं’ मिटटी में
मिल गया
तुम्हें अफसोस तो होगा ..?
कहीं दिल में...??
जता पाना मगर मुश्किल..
इसी ‘मैं’ से
तो तुम भी प्यार करती थी..
रहा जब ‘मैं’ नहीं
तो प्यार से तौबा...
जरा सोचो..
कि अब भी प्यार करती हो?
अगर हाँ?
तो किससे??
कहीं तुम उस इमोशन से
जो भीतर है
मुझे लेकर
मुहब्बत करती हो उससे...?
समझना प्यार को मुश्किल बहुत है?
कि जैसे
खुदा को
और मुझको ?
नहीं यारा!
मैं कम्पेयर नहीं करता
समन्दर और है बिल्कुल
मैं हूं कतरा
मगर जानां!
समझ कर बूंद को तुम
समन्दर जान सकते हो ...
निरी बकवास है सब
इसे छोड़ो
मिरी इस बात को तुम
गलत बोलो
तो मैं खुश हूं
सही बोलो तो मैं खुश
और ये मैं तो
मर गया है।


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