दुःख का कारण in पहाड़ों से उतरती धूप, मस्तो, poetry with कोई टिप्पणी नहीं मिरी सुनतेअगर तुमतो खुश रहते...सुनी होतीअगर खुद कीतो खुश रहते...यही है सचयही कारणसुनी तुमने कहाँ ? किसकी ?? Share:
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