दिमाग in पहाड़ों से उतरती धूप, मस्तो, poetry with कोई टिप्पणी नहीं उड़ते उड़तेमैंने सोचामैं आदमबेपर कैसे उड़ता हूं?आह !!गिरा जमीन पे। Share:
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