सुख

 
इन दिनों
गर्मी खूब पड़ती है
बारिश ख़ूब होती है
जाड़ा क्या तो होता है
और बालकनी से ज़्याद:
छत पर पाया जाता मैं
हिज्र को सुख के म’आनी देते हुए
और ये सब बातें
मैं तुम से कर रहा हूँ
कहाँ है हिज्र ?
यही हो तुम सदा से...


Share:

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें