सुख in पहाड़ों से उतरती धूप, मस्तो, poetry with कोई टिप्पणी नहीं इन दिनों गर्मी खूब पड़ती है बारिश ख़ूब होती है जाड़ा क्या तो होता हैऔर बालकनी से ज़्याद:छत पर पाया जाता मैं हिज्र को सुख के म’आनी देते हुए और ये सब बातें मैं तुम से कर रहा हूँ कहाँ है हिज्र ?यही हो तुम सदा से... Share:
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