बेवकूफी in पहाड़ों से उतरती धूप, मस्तो, poetry with कोई टिप्पणी नहीं निकाल करज़ेहन सेहर रंग उसका..रख दियामेज़ पर मैनेफिर चुनेंकुछ रंगलालपीलेनीलेस्याहसुफैद उठ गयासोचकरहुआ है अब ज़हन खाली Share:
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