स्याह से खेला..
फिर नीला,
पीला,
लाल,
खूब रंग भरे..
देखता रहा उसको वो...
रंगों की चुभन को..
सुफैद से कम किया..
फिर
जारी होता है
रंगों का खेल...
कुछ समय तक
तश्तरी मे पड़े रंगों को देखता रहा वो
न जाने क्या उस के जी में आयी
कि तश्तरी तोड़ दी
रंग बिखेर दिये
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