मोहब्बत in पहाड़ों से उतरती धूप, मस्तो, poetry with कोई टिप्पणी नहीं एक चींटी क्या जाने कैसेउगलियों से होकरकांधे पे चढ़ आयीफिरसीने पर उतर कर काटाऔर दम तोड़ गयी Share:
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