माफ़ीनामा


मुझे तुम
मुआफ करना ,
तुमने जैसा चाहा था..
सोचा था..
मैं
वैसा नहीं दिखता...
मिरी हर पल बदलती
हजारों ख्वाहिश हैं
और
हर एक ख्वाहिश के साथ
बदलता जा रहा हूँ मैं
मगर
तुम्हारी निगाहें 
अब भी
वहीं हैं..
और मैं
समय के सर
सब थोप के
बच नहीं सकता ।


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