कैसे ? in पहाड़ों से उतरती धूप, मस्तो, poetry with कोई टिप्पणी नहीं चलो मान लें ..ठण्ड कम हो गयी..धूप बढऩे लगीमार्च अब आ गया हैबदलने लगी है फज़ा मगर क्या करें..??आम के पेड़ पेबौर दिखते नही..दूर तक कुछनिशाँ भी नही.ज़र्द पत्ते वही..:रुत नयी हो चली ? मान लें क्या ?? Share:
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