रो दूंगा मैं



बात पुरानी याद आ गयी
ख्व़ाब में देखा हँसता उसको
कारण क्या था भूल गया हूँ
सच में ?
हाँ भूल गया हूँ ।
शोर बहुत है भीतर बाहर
काला दरिया खींच रहा है..
रोकूँ खुद को ?
डूब मैं जाऊँ ?
चाहूँ क्या मैं, जान न पाऊँ ।
छोड़ो ये सब, हाल बताओ
क्या देखा था ?
क्या  लिक्खा है
क्या बेचैनी..
कैसी हलचल
छोड़ो यारा !
बात पलट दो..
दूर से देखो
हँसता मुझको
छू ओगे तो ..रो दूंगा मैं


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