बस पाक हो गए in पहाड़ों से उतरती धूप, मस्तो, poetry with कोई टिप्पणी नहीं छिल गये हाथ घुटने कट गये होंठसर फूट गयापर दर्दइतना कहाँ था ?कि मैं होश में आता.. Share:
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें