बूढी पुजारन in पहाड़ों से उतरती धूप, मस्तो, poetry with कोई टिप्पणी नहीं माला जपना तरीक़ा है दोपहर बिताने का..कुछ खेलों मेंरंग है.. रस नहीं बस ज़रिया है जी बहलाने का ! Share:
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