मैं हूँ कौन ?


बहुत देर तक सोचता ये रहा मैं
मैं हूँ कौन ?
मेरी ज़रुरत ही क्या है
सफऱ
आह !
       लम्बा  सफऱ ये..
बता यार ?
           कैसे कटेगा...
मैं ये सोचता...
           अनवरत सोचता
तभी आ के मस्तो ने
मुझको बताया
“जो -- तू जानता है..
वो सच ..
        आखरी सच ..
                  परम सच !
बयानी ही उसकी
तिरी साधना है..
..उसी के लिए जिस्म तुझको मिला है...’’
मैं तब से लगा हूँ
मेरी साधना में..


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