भारतीय शास्त्र 1

किसी भी सब्जेक्ट रिलेटेड (विषय सम्बन्धी) डाटा जो प्रॉपर वे में प्रॉपर क्रम यानि इंडेक्स के साथ

कलेक्ट कर के रखा हो वो शास्त्र कहता है जैसे, भौतिकशास्त्र, वास्तुशास्त्र, शिल्पशास्त्र, प्राणिशास्त्र, अर्थशास्त्र, विद्युत्शास्त्र, वनस्पतिशास्त्र आदि। इस तरह  यह 'विज्ञान' का पर्याय है।

"विज्ञान" को भी समझते हैं विश्वसनीय ज्ञान का वह भाग है अब विश्वसनीय क्या है ? जिसे देख सुन सूंघ स्पर्श कर सके यानी आपके सेन्स यानि इन्द्रियां जिसका अनुभव कर सके वो आपके लिए विश्वसनीय होगा...
ध्यान दीजिये डेफिनेशन समय समय पे बदल भी सकती हैं पर आगे बढ़ने के लिए अपने देश काल वातावरण में उसे डिफाइन करना ज़रूरी है जैसे  मेरे लिए मेरी बीवी जो कहे वो भी विश्वसनीय हुआ :
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खैर ! "विज्ञान" विश्वसनीय ज्ञान का वह भाग है जिसे लॉजिक यानि तर्क द्वारा कोन्सिअस माइंड द्वारा समझा जा सके...

ये परिभाषा बाद की है...पर यही अब व्यापक रूप से इस्तेमाल हो रही है..

अब कला प्रेम जीवन सम्बन्धी अन्य विषय हम विज्ञान का हिस्सा नहीं मानते जबकि मैं और मेरे जैसे कितने प्रेम में भी फिजिक्स और मैथ लगा रहे होते हैं..

 

अच्छा हम वापस से शास्त्र पर आते हैं हमने ये तो समझ लिया किसी भी विषय को सुनियोजित तरीके से क्रम्बंध संग्रहित करना शास्त्र कहलाता है..

 

शास्त्र का एक अर्थ डिसिप्लिन यानि अनुशासन भी है.....ज़िन्दगी में कुछ भी सीखना होता है तो हमको एक डिसिप्लिन फॉलो करना होता है..शास्त्र का क्रम ऐसा होता है आप जैसे जैसे आप उसमे बढ़ते जायेंगे आप उसके अनुशासन को फॉलो करते जायेंगे और अगर आप उस डिसिप्लिन को नहीं फॉलो करते और उसके अनुसार कर्म नहीं करते तो वो शास्त्र आपको समझ में नहीं आएगा..   

तुलसी बाबा सेज सकल पदारथ इहे जग माहि कर्म हीन नर पावत नाहीं.

 

शास्त्र का एक अर्थ बताते हैं की शास्त्र उस गुरु की तरह व्यवहार करते हैं जो बच्चे की ऊँगली पकड़ के उसको चलना सिखाते हैं

मतलब बहुत बेसिक abcd से बात शुरू की जाएगी फिर आपको उसके डिसिप्लिन में शामिल कर लिया जायेगा फिर आपकी गति...

 

बहुत बहुत तरह के शास्त्र भारतीय परंपरा में रहे हैं जिसे हिन्दू परंपरा कहना छोटा करके आंकना  है, इसे भारतीय परंपरा कहना उचित है क्योकि बहुत से शात्रों को हिन्दू विशेष वर्ग शास्त्र नहीं कहता क्योकि वो वेद परंपरा को फॉलो नहीं करते खैर ! हम इसको बड़े अम्ब्रेला के तौर पे समझेंगे भारत में अलग अलग विषय पे लिखे गए ग्रन्थ जिन्हें हम शास्त्र कहते हैं उनके भीतर जाने की कोशिश करेंगे कि उनमें क्या कुछ है जो अब भी हमारे काम का है और कुछ से हम उस समय के लोगों और जीवन शैली को समझ सकते हैं

 

अगले हिस्से में मैं भारत के शात्रीय एजुकेशन सिस्टम पर बात करूँगा. 

भारतीय शास्त्र 2

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